इतनी निर्दयता हाय,कहाँ से हो पाती, प्रकृति खड़ी है मौन,क्यों नहीं रो पाती, इतनी निर्दयता हाय,कहाँ से हो पाती, प्रकृति खड़ी है मौन,क्यों नहीं रो पाती,
ये सूरज, चाँद व तारे, सुंदर हैं इनके नजारे! नील गगन में रहते हैं, लगते हैं कितने प् ये सूरज, चाँद व तारे, सुंदर हैं इनके नजारे! नील गगन में रहते हैं, लगते ...
शहर से गाँव तक उग आया है कांक्रीटों का घना जंगल। शहर से गाँव तक उग आया है कांक्रीटों का घना जंगल।
सच सोया हुआ है चुनावी वायदों का बोलबाला है। सच सोया हुआ है चुनावी वायदों का बोलबाला है।
अब क्यों पुष्प चढ़ाती हो देवी अब क्यों पुष्प चढ़ाती हो देवी